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30 January 2022

जाटलैंड में सपा गठबंधन व भाजपा के बीच सीधी टक्कर से बनते बिगड़ते समीकरण

 शामली,पश्चिमी यूपी के जाटलैंड का एक महत्वपूर्ण जिला है.शामली पहले मुज़फ्फ़रनगर जिला का हिस्सा था।मायावती सरकार के कार्यकाल में 2011में इसे नया जिला बनाया गया।मायावती सरकार ने जिले का नाम रखा प्रबुद्धनगर।अखिलेश यादव सरकार में इसे बदलकर शामली कर दिया गया।शामली के आसपास सहारनपुर,मुजफ्फरनगर जिले हैं.हरियाणा का पानीपत भी यहां से नजदीक ही है.जिले में तीन विधानसभा सीटें हैं-शामली,थानाभवन और कैराना. इन सभी विधानसभा सीट के लिए पहले चरण में 10फरवरी को मतदान होना है.1969में भारतीय क्रांति दल के राव रफी खान,1974 में कांग्रेस के मलखान सिंह,1977में जनता पार्टीके मूलचंद,1980 में कांग्रेस के सोमांश प्रकाश,1985 में लोकदल के आमिर आलम खान,1989 में कांग्रेस के नकली सिंह,1991 में जनता दल के सोमांश प्रकाश, 1993में बीजेपी के जगत सिंह,1996में सपा के आमिर आलम खान, 2000 में (उपचुनाव)सपा के जगत सिंह,2002में किरण पाल,2007में अब्दुल वारिस खान,2012 और 2017में सुरेश राणा विधायक रहे।थानाभवन विधानसभा सीट पर जीत बहुत कम अंतर से होती है।इस सीट पर हमेशा कांग्रेस,सपा और आरएलडी का कब्जा रहा है।बीएसपी को एक बार भी इस सीट पर जीत नहीं मिली है।इस सीट के इतिहास को देखें तो यहां पर कोई भी लगातार दो बार विधायक नहीं रहा।यही नहीं,2012और 2017को छोड़ दें,तो इस पर भाजपा प्रभावशाली नहीं रही।1993में भाजपाके जगत सिंह जीते जरूर थे,लेकिन उनकी पहचान भाजपा काडर की नहीं रही और 2000के उपचुनाव में वह सपा के टिकट पर जीते थे।2012के चुनाव में भाजपा के टिकट पर सुरेश राणा महज 265वोटों से जीते थे।2017में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी के अब्दुल वारिस खान को 16817 वोटों से हराया।मुजफ्फरनगर दंगो के दौरान सुरेश राणा का नाम काफी चर्चा में रहा था।2013के मुजफ्फरनगर दंगों का असर सामाजिक सौहार्द पर भी देखने को मिला.सुरेश राणा इसमें आरोपी भी थे,पिछली सरकार ने उन्हें अरेस्ट भी किया था,लेकिन वर्तमान सरकार ने उनके ऊपर लगे केस वापस ले लिए हैं।यहां का जाट और मुस्लिम मिलकर किसी भी पार्टी को जिताने की ताकत रखता है.इस सीट पर अगर 17वीं विधानसभा चुनाव-2017 के आंकड़ों की बात करें तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 311405 थी।इनमें पुरुष मतदाता 171460, महिला मतदाताओं की संख्या 139899 और थर्ड जेंडर के 46 मतदाता थे।थानाभवन सीट मुस्लिम बाहुल्य सीटों में आती है और यहां पर करीब 95 हजार मुस्लिम मतदाता है।वहीं पर 45हजार के करीब जाट वोट है जबकि 25हजार के आसपास ठाकुर वोट भी है।15 हजार ब्राह्मण और 22हजार सैनी मतदाता भी थानाभवन क्षेत्र में रहते हैं।इस सामाजिक संरचना के आधार पर भाजपा के जीतने की कोई संभावना यहां नहीं है।


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