जम्मू। वैष्णोदेवी की यात्रा में इस
बार वृद्धि हुई है। वृद्धि ज्यादा अधिक तो नहीं है लेकिन इसने बोर्ड के
अधिकारियों के साथ ही कटड़ा के व्यापारियों के चेहरे पर मुस्कान जरूर ला दी है।
हालांकि मामूली वृद्धि वो खुशी नहीं दे पाई है, जिसकी चाहत सभी को थी।
तीन साल के बाद जारी वर्ष में
वैष्णोदेवी की यात्रा में नया रिकॉर्ड कायम हुआ है। जारी वर्ष को समाप्त होने में
अभी 3 दिन बाकी है और आज दोपहर बाद करीब 3 बजे वैष्णोदेवी यात्रियों का आंकड़ा 81 लाख पार कर चुका
था। रात करीब 9 बजे तक यह आंकड़ा 81
लाख 11 हजार पहुंच गया था। यह तीन साल में
यात्रा का सबसे अधिक आंकड़ा है। वर्ष 2015 में 7776604 श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में
हाजिरी लगाई थी।
वहीं वर्ष 2016 में यात्रा का
आंकड़ा 7723721 रहा था, लेकिन इस वर्ष हालांकि कश्मीर में अशांति के साथ ही बार्डर पर कई
घटनाएं हुईं पर इससे बेखौफ श्रद्धालु लगातार वैष्णोदेवी भवन पहुंचते रहे। बीते
वर्ष के मुकाबले इस साल अब तक करीब 3 लाख अधिक श्रद्धालु वैष्णोदेवी भवन
पहुंचे हैं।
नववर्ष के आगमन को लेकर उमड़ने वाली
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को लेकर राज्य के राज्यपाल व श्राइन बोर्ड के चेयरमैन एनएन
वोहरा ने श्राइन बोर्ड अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे श्रद्धालुओं के लिए
बिजली, पानी के साथ ही भवन तथा मार्गों पर स्वास्थ्य सेवा और अन्य प्रकार
की सभी सुविधाएं सुनिश्चित करें,
ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न
हो।
स्पष्ट शब्दों में कहें तो पिछले चार
सालों से वैष्णोदेवी आने वालों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही थी। हालांकि
नार्मल रूटीन में 20 से 25 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन वैष्णोदेवी की यात्रा में शामिल होते रहे
हैं पर यह आंकड़ा न ही श्राइन बोर्ड को खुशी दे पा रहा था और न ही उन लोगों को
जिनकी रोजी-रोटी यात्रा से जुड़ी हुई है। यात्रा में कमी आने से न सिर्फ कटड़ा के
व्यापारी ही प्रभावित हुए हैं बल्कि जम्मू के व्यापारियों का भी तेल निकल रहा था
और सर्दियों में यह आंकड़ा घटकर 8
से 10 हजार तक ही पहुंच जाता रहा है।
वर्ष 2011 में वैष्णोदेवी की यात्रा में 1.01 करोड़ तथा 2012 में 1.04 करोड़ श्रद्धालुओं
ने शामिल होकर नया रिकॉर्ड बनाया था। जानकारी के लिए वर्ष 1950 के उपलब्ध आंकड़ों
के अनुसार, प्रतिवर्ष इस यात्रा में 3000 लोग ही शामिल हुआ करते थे। हालांकि इस
बार श्राइन बोर्ड को उम्मीद थी कि यात्रा सवा करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी, पर अब उसे इतनी
वृद्धि से ही संतोष करना पड़ रहा है।
