वाराणसी। पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही निरंतर बारिश व बाहरी नदियों के पानी से गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव है। बनारस के सभी 84 घाटों के ऊपर तक पानी आ चुका है। जलस्तर इतना तेज बढ़ रहा कि शीतला मंदिर के द्वार तक गंगा का पानी पहुंच चुका है। यही हाल रहा तो जल्द ही शीतला माता का मां गंगा पांव पखारेंगी। साथ ही काशी करवट और मसान बाबा मंदिर भी गंगा की आगोश में होंगे।
बदला आरती स्थल
बढ़ते जलस्तर से शीतला घाट व दशाश्वमेध घाट पर होने वाली पारंपरिक आरती का बुधवार को सातवीं बार स्थान बदलना पड़ा। मां की आरती गंगा सेवा निधि कार्यालय के छत पर परंपरागत ढंग से संपन्न कराई गई। संस्था के सचिव हनुमान यादव ने बताया बताया कि
पिछले दो दिनों में गंगा का जलस्तर लगभग डेढ़ मीटर से ज्यादा बढ़ गया है। जिस वजह से गंगा का प्रवाह घाटों से ऊपर आने लगा है। कहा कि अगर इसी तरह जलस्तर बढ़ता रहा तो आने वाले एक-दो दिनों में दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियां चढ़कर गंगा सड़क तक पहुंच सकती हैं। जैसे-जैसे गंगा ऊपर की ओर बढ़ेंगी गंगा आरती का स्थान बदलता जाएगा। सचिव ने बताया कि जैसे जैसे पानी बढ़ता जाता है वैसे वैसे गंगा आरती का स्थान भी सिमटता जाता है। तब मां गंगा की आरती का आत्मिक और आध्यात्मिक लाभ लेने आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पिछले दो दिनों में गंगा का जलस्तर लगभग डेढ़ मीटर से ज्यादा बढ़ गया है। जिस वजह से गंगा का प्रवाह घाटों से ऊपर आने लगा है। कहा कि अगर इसी तरह जलस्तर बढ़ता रहा तो आने वाले एक-दो दिनों में दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियां चढ़कर गंगा सड़क तक पहुंच सकती हैं। जैसे-जैसे गंगा ऊपर की ओर बढ़ेंगी गंगा आरती का स्थान बदलता जाएगा। सचिव ने बताया कि जैसे जैसे पानी बढ़ता जाता है वैसे वैसे गंगा आरती का स्थान भी सिमटता जाता है। तब मां गंगा की आरती का आत्मिक और आध्यात्मिक लाभ लेने आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
खतरे के निशान से नीचे
गंगा का जलस्तर फिलहाल अभी खतरे के निशान से करीब 4 मीटर नीचे है। प्रशासन ने गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया है। प्रशासन ने गंगा में चलने वाले नावों को तेज बहाव की वजह से रोक लगा दी है। वहीं घाटों पर पानी आ जाने से घाट के दुकानदार अपनी दुकान को हटाकर कहीं और ले जा रहे हैं। इसके अलावा पर्यटन की दृष्टि से वाराणसी में घाटों का मनोरम दृश्य देखने वाले पर्यटक भी काफी मायूस है।