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3 August 2021

पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला, कहा- संसद ना चलने देना संविधान और लोगों का अपमान

 


नई दिल्ली: संसद सत्र शुरू होने के बाद से विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलेवार है। इसी कड़ी में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि संसद ना चलने देना संविधान और लोगों का अपमान। गौरतलब हो कि संसद का सत्र शुरू होने के बाद से कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल पेगासस, कृषि विधेयक और पेट्रोलियम की कीमतों में वृद्धि सहित कई मुद्दों पर मुखर हैं। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही मुंह खोल चुके हैं। मंगलवार को उन्होंने एक बार फिर विपक्ष पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह संविधान का अपमान है। लोकतंत्र का अपमान है। लोगों का अपमान है।संसद में हंगामे को लेकर दो बार मोदी ने विपक्ष पर हमला किया। पिछले हफ्ते उन्होंने पार्टी की एक बैठक में कांग्रेस का नाम लेकर सीधे हमला बोला था। उन्होंने शिकायत की कि कांग्रेस उन्हें सत्र में कोई काम नहीं करने दे रही है। उधर, राहुल गांधी मंगलवार सुबह विपक्ष के साथ एक बैठक की। उस बैठक के बाद विपक्षी सांसद पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के विरोध में साइकिल से संसद पहुंचे।इससे पहले प्रधानमंत्री ने भाजपा सांसदों से लोगों के सामने सच्चाई सामने लाने को कहा था। उन्होंने कहा था विरोधियों को बेनकाब किया जा सकता है। लोकसभा और राज्यसभा को विभिन्न मुद्दों पर बार-बार स्थगित किया गया है। विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन से प्रधानमंत्री काफी नाराज थे। केवल प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी विपक्ष को संदेश दिया। कई विपक्षी सांसदों ने ओम बिरला की कुर्सी पर पर्चा फेंका। उसके बाद ओम बिरला ने विपक्ष को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने सांसदों के व्यवहार को 'बेहद दुखद' बताया। उन्होंने याद दिलाया कि सांसद लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत के जरिए किया जाना चाहिए। विपक्ष को संबोधित करते हुए ओम बिरला ने कहा, 'अगर इस कुर्सी पर कोई आरोप है तो सीधे मेरे चैंबर में आएं, आकर मामले पर चर्चा करें। कुर्सी पर कागज फेंकने जैसी घटनाएं कभी भी स्वीकार्य नहीं हैं। उनके मुताबिक यह व्यवहार संसद की नीति के विरुद्ध है। जो यहां हैं वे लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने उनकी कमियों को बताया। इसलिए संसद की नीति का पालन करना और उनका गौरव बढ़ाना उनका कर्तव्य है।

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