पटना- मिलन कुमार शुक्ला
अबतक यही माना जा रहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव दो बड़े गठबंधनों के बीच होगा। माना जा रहा था कि कुछ इलाके और खास जातियों में असर रखने वाले छोटे दल दो बड़ी गोलबंदी में किसी एक के साथ जुड़ जाएंगे। लेकिन अब यह स्थिति नहीं रही। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से लोक जनशक्ति पार्टी और महागठबंधन से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के मोहभंग से तीसरे मोर्चे की बुनियाद पड़ गई लगती है। एलजेपी, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी अगर इन दोनों दलों से जुड़ती है तो कुछ और छोटे दलों को मिलाकर असरदार तीसरे मोर्चे का निर्माण हो सकता है। फिर भी यह संभावना ही है। पल-पल बदलते नेताओं के मन-मिजाज और किसी सिद्धांत के प्रति कठोर प्रतिबद्धता की अनुपस्थिति में पक्के तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल है।
