
हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली चार साल के बेटे की मां अनु कुमारी ने यूपीएससी परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की है.
अनु कुमारी ने दो साल पहले बीस लाख रुपए सालाना पैकेज की एक निजी नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की तैयारी शुरू की थी.
एक समय में उनके लिए मुश्किल रहा ये फ़ैसला अब उनके जीवन का सबसे अच्छा फ़ैसला भी साबित हो गया है.
ANU KUMARI
शुक्रवार को यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा 2017 के नतीजे जारी किए. अनु कुमारी इस सूची में दूसरे और महिलाओं में पहले स्थान पर हैं.
बीबीसी ने अनु कुमारी से बात की और कामयाबी के इस सफ़र को उनसे ही जाना.
अनु बताती हैं, "मुझे निजी क्षेत्र में नौकरी करते हुए नौ साल हो गए थे. धीरे-धीरे मुझे अहसास होने लगा था कि ये काम मैं आजीवन नहीं कर सकती और अगर मैं यही करती रही तो अपना जीवन पूरी तरह से नहीं जी पाउंगी. मैंने कई बार इस पर विचार किया और मैंने नौकरी छोड़ने का निर्णय ले लिया."
लेकिन क्या नौकरी छोड़ने का फ़ैसला एक बड़ा फ़ैसला नहीं था?
इस सवाल के जवाब में अनु कहती हैं, "मैंने तय किया था कि सिविल सेवा की तैयारी करूंगी और अगर कामयाब नहीं रही तो शिक्षिका बन जाउंगी. मैं दोबारा निजी क्षेत्र में नहीं लौटना चाहती थी."

भाई ने की मदद
सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए अनु को उनके छोटे भाई ने मनाया.
वो बताती हैं, "मेरे मामाजी और मेरे भाई ने मुझ पर बहुत ज़ोर दिया कि मैं नौकरी छोड़ दूं. जब टीना डाबी ने सिविल सेवा में टॉप किया तो मेरे मामाजी ने मुझे मैसेज भेजकर कहा कि बेटा अगर तू नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की तैयारी करना चाहती है तो तेरा साल डेढ़ साल का ख़र्च मैं उठाने को तैयार हूं. उस समय मुझे लगा कि लोगों को मुझमें विश्वास है. इसी बीच मेरे भाई ने मुझे बिना बताए ही मेरा प्री का फॉर्म भर दिया. उसे भरोसा था कि वो मुझे नौकरी छोड़ने के लिए मना लेगा."
अनु ने अपने पहले प्रयास में डेढ़ महीने की तैयारी के बाद सिविल सेवा की प्री परीक्षा दी और नाकाम रहीं. लेकिन उन्होंने अगले साल की तैयारी शुरू कर दी.
अनु बताती हैं, "मैं हर महीने एक लाख साठ हज़ार कमा रही थी. इससे मुझे समय के साथ आर्थिक स्थिरता हासिल हो गई. पैसा अब मेरे लिए रुकावट नहीं रहा था. मुझे ये भरोसा भी था कि अगर मैं यूपीएससी में पास नहीं भी हो पाई तो अपने बेटे का पेट पाल ही सकती हूं."