नई दिल्ली: कोरोना टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर क्यों? ये सवाल विपक्ष के साथ-साथ आम लोगों के मन में लंबे वक्त से तैर रहा है। आखिरकार सरकार ने उस रहस्य को खत्म कर दिया है। केंद्र को मंगलवार को राज्यसभा में बताया गया कि तस्वीर का इस्तेमाल यह संदेश देने के लिए किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण के बाद भी लोगों से नियमों का पालन करने को कह रहे हैं।
विपक्षी का आरोप है कि पीएम टीकाकरण प्रमाण पत्र पर अपनी तस्वीर लगा कर चुनाव प्रचार करना चाहते हैं। पंजाब, झारखंड और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में टीकाकरण प्रमाणपत्रों से प्रधानमंत्री की तस्वीरें भी हटा दी गईं। मंत्री भारती प्रवीण पवार ने टीकाकरण को लेकर विपक्ष के तमाम सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 'इस तस्वीर का इस्तेमाल जागरूकता फैलाने के लिए किया गया है, आत्म-प्रचार के लिए नहीं।
विरोधियों का स्वास्थ्य मंत्रालय से सवाल है कि क्या टीकाकरण प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर होना अनिवार्य है? इसके जवाब में मंत्री ने कहा कोरोना की स्थिति और वैक्सीन के अनुकूलित रूप को देखते हुए नियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ विशेष संदेश का इस्तेमाल आम जनता को टीकाकरण के बाद भी सावधानी के साथ नियमों का पालन करने की याद दिलाने के लिए किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह संदेश आम आदमी तक पहुंचाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। केंद्र ने कहा कि टीकाकरण प्रमाणपत्र, जो कोविन ऐप से उपलब्ध है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों पर आधारित है।
