मराठा क्षत्रप शरद पवार की हिपोक्रेसी देखिये। मनमोहन सिंह सरकार में 10 साल तक कृषि मंत्री रहे ये वही शरद पवार हैं जिन्होंने बतौर कृषि मंत्री अगस्त 2010 और नवंबर 2011 के बीच सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर बार-बार मॉडल एपीएमसी एक्ट को लागू करने और स्टेट एपीएमसी एक्ट्स में संशोधन के लिए कहा था। उन्होंने मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया था, ताकि किसानों को प्रतिस्पर्धा के लिए वैकल्पिक माध्यम मिल सके। तब शरद पवार ने दावा किया था कि इससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकेगा। आज सरकार ने जब इन्हीं बातों का कानून में प्रावधान किया है तो पवार साहब कह रहे हैं कि वो इसके खिलाफ देशभर में आंदोलन करेंगे। शरद पवार जिस उम्र में पहुंच चुके हैं वहां लोग व्यक्तिगत राजनीतिक नफा-नुकसान से ऊपर उठ कर सोचने लगता है पर पवार पर परिवार का लाभ-हानि हावी है।
