हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को हलछठ मनाते हैं। इस साल यह त्योहार 9 अगस्त (रविवार) को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इस महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और समृद्धि की कामना के लिए उपवास रखती हैं। इस त्योहार को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। गुजरात में इसे राधन छठ को कहीं यह पर्व हलषष्ठी, हलछठ , हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ, ललही छठ, कमर छठ, या खमर छठ के नामों से भी जाना जाता है। हरछठ या राधन छठ के दिन महिलाएं पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी के बर्तन या पात्र में पांच या सात अनाज या मेवा भरती हैं। इस व्रत में कई नियमों का पालन करना जरूरी होता है। हलछठ व्रत में गाय का दूध या दही का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा गाय के दूध या दही का सेवन करना भी वर्जित माना गया है। इस दिन केवल भैंस के दूध या दही का सेवन किया जाता है। इसके अलावा हल से जोता हुआ कोई अन्न या फल भी नहीं खाया जाता है।

