इस कोरोना महामारी में सरकार एक ओर पुलिस, डॉक्टर्स के साथ तमाम कोरोना वारियर्स का सम्मान कर रही है, उनपर पुष्प वर्षा कर रही है, तमाम राज्य सरकारें पुलिस और डॉक्टर्स के लिए मेडिकल इंश्योरेंस और मेडल देकर सम्मानित करने की बात कह रहीं हैं लेकिन अपना जान जोखिम में डाल दिन रात मेहनत करने वाले, फील्ड में जाकर कोरोना की रिपोर्टिंग करने वालों उन तमाम मीडिया कर्मियों और रिपोर्टरों की कोई सुनने वाला नहीं...स्याह सच ये है कि इनकी ओर न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें सोच रहीं हैं..और रही सही कसर बड़े बड़े मीडिया संस्थान पूरी कर दे रहे हैं...इस वैश्विक महामारी में मीडिया कर्मियों की आत्महत्या की खबरें, कोरोना से संक्रमित होकर भी संस्थान के लिए काम करना सोचने को मजबूर कर रही है...कई बड़े संस्थानों को छोड़ दे तो छोटे संस्थान सुरक्षा के सारे मानकों को ताक पर रख कर लोगों से काम ले रहे हैं...छोटे संस्थानों में काम कर रहे लोगों को ना तो सेनिटाइजर दिया जा रहा है और न ही मास्क, हाथ में पहनने के लिए दस्ताने भी नहीं...यहां तक कि प्रतिदिन ऑफिस सेनिटाइज्ड भी नहीं किया जा रहा...सैलेरी संकट तो मीडियाकर्मियों के साथ इस कदर चिपका रहता है जैसे उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गया हो...ऊपर से आये दिन बिना बताए छटनी... सोचने को मजबूर कर दे रहा है...आप मर रहे हो मरो हमारी सेहत पर क्या असर...हालांकि मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि ये संकट भी टल जाएगा और ईश्वर की कृपा से कोरोना संक्रमित मीडियाकर्मी भी ठीक हो जाएंगे...लेकिन सवाल यही की आखिर कब उन हजारों मीडियाकर्मियों के जीवन में उजाला आएगा...क्योंकि यहां तो दिया तले ही अंधेरा है...
धन्यवाद
आशीष तिवारी
संस्थापक संपादक
द फ्रंट न्यूज