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15 June 2020

कविता नही एक दर्द



तेरा यू ही बेवजह चले जाना अच्छा न लगा
दिल टूटा, वो क्या वजह थी जो बता न सका
उठाया था जिन्हें तूने अपने हुनर से आसमां पर
उन्ही को जमीन पर छोड़ जाना सच्चा न लगा
तेरा यू ही बेवजह चले जाना अच्छा न लगा
तेरी वो सहज मुस्कान महफ़िलो की जान थी
तेरी हर अदा उम्दा अभिनय की पहचान थी
जिसे तू कभी मिला भी नहीं
जिसे तू कभी दिखा भी नही
उसे भी तेरा इस तरह सताना अच्छा न लगा
तेरा यू बेवजह चले जाना अच्छा न लगा
दर्द जो भी था हिम्मत कर बता देता
सोया था यदि कोई तो उसे जगा देता
तुने ही कहा था जिंदगी में अगर कुछ
सबसे ज्यादा इम्पॉर्टेन्ट है तो वो खुद जिंदगी है
तू ही बता तूने जिंदगी को कहां जिया
तेरा ये आखिरी अभिनय सच्चा न लगा
तेरा यू बेवजह चले जाना अच्छा न लगा

✍️ नितेश जैन

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