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20 June 2018

निठल्ले माफियाओं के भरोसे आयोग



क्या वास्तव में ऐसे ही नया इंडिया बनेगा? मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की भी निकम्मेपन की तस्वीरें कुछ ऐसी सामने आई हैं। क्या इन आयोगों को संवैधानिक दर्जा इसीलिए दिया गया था कि वे अपने निकम्मेपन को तानाशाही के साथ प्रितिष्ठित करें। आखिर इन आयोगों में लोग बैठे हैं? उनकी मेरिट क्या है? उन्हें जिन्होंने नियुक्त किया था उसका उद्देश्य क्या था? क्या इसका कोई जायजा लेगा। शायद नहीं क्योंकि इन सबको वह सब हासिल हो रहा है जो इन्हें चाहिए। मरें छात्र। ऐसा क्यों? इन्हीं युवाओं का आह्वान शायद देश और प्रदेशों का नेतृत्व करता है, फिर इनकी सुनता क्यों नहीं? क्या इनका पढ़ा लिखा होना अपराध है? बेहतर होता कि ये अपराधी होते , माफिया होते, दलाल होते क्योंकि तब किसी न किसी आयोग, निगम आदि के अध्यक्ष , सदस्य, निदेशक ...आदि कुछ न कुछ बन ही जाते। प्रिय छात्रों, शायद आप इस देश के नेतृत्व और तंत्र को प्रिय नहीं।  सरकारे आयी गयी पर समस्या जस की तस है अखिलेश सरकार में जहाँ सीटों को बेच दिया गया वही भाजपा प्रदेश सरकार योगी के नेतृत्व में पूरी तरह असफल साबित हुई है । सबसे बड़ी समस्या ये है जिस अध्य्क्ष के ऊपर लोकसेवा आयोग की नियुक्तियों पे भ्रष्टाचार का आरोप है । वो आज भी अध्य्क्ष बने हुए है। अलबत्ता आलम ये है योगी सरकार आने के बाद से एक भी नियुक्ति पूरी नही हुई । सरकार से निवेदन है छात्रों की जीवन से खिलवाड़ न करते हुए आयोग में पारदर्शिता लाये और नियुक्ति की प्रक्रिया तेजी से शुरू करे।
कमलेश मिश्रा

(यह लेखक के अपने विचार है)

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