
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान मुल्क की अर्थव्यवस्था में कई ऐसे बदलावों को अंजाम दे रहे हैं जिसका असर अब साफ़ दिख रहा है.
सलमान आर्थिक वृद्धि दर में गति लाना चाहते हैं और अपने नागरिकों के लिए नई नौकरियां पैदा करना चाहते हैं. हालांकि सऊदी में विदेशी कंपनियां सरकार की मांग पूरी करने में जूझ रही हैं.दशकों से सऊदी में भारत और फिलीपींस के कामगार वैसे कामों को करते रहे हैं जो काम सऊदी के लोग करना पसंद नहीं करते हैं.वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट के अनुसार किचन, कंस्ट्रक्शन और स्टोर काउंटर के पीछे काम करने वाले भारतीय होते हैं या फिलीपींस के. ये काम सऊदी के लोग करना पसंद नहीं करते हैं.तेल के विशाल भंडार वाले इस देश में ज़्यादातर नागरिक सरकारी नौकरी करते हैं. इसके साथ ही कई कामों में वहां के नागरिक दक्ष नहीं होते हैं और निजी सेक्टर में नौकरी को लेकर उनमें वैसा उत्साह भी नहीं होता है.

सऊदी में विदेशी कंपनियों पर वहां के नागरिकों के लिए कई तरह के दबाव होते हैं. इनमें काम के घंटों का कम होना और अच्छी तनख़्वाह शामिल हैं.कई कंपनियां तो जुर्माने और वीज़ा की समस्या के कारण डरी होती हैं. इन्हें नियमों के कारण सऊदी के लोगों को नौकरी पर रखना पड़ता है. वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के अनुसार नियमों के कारण इन कंपनियों को वैसे लोगों को भी रखना पड़ता है जिनकी कोई ज़रूरत नहीं होती है.सऊदी लॉजिस्टिक कंपनी के एक एक्जेक्युटिव अब्दुल मोहसीन का अनुमान है कि उनकी कंपनी में आधे से ज़्यादा वैसे सऊदी नागरिक नौकरी पर हैं जो बस नाम के लिए हैं.उन्होंने वॉल स्ट्रीट जनरल को दिए इंटरव्यू में कहा, ''मेरी कंपनी विदेशी कामगारों के बिना नहीं चल सकती है, क्योंकि कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें सऊदी के लोग कर ही नहीं सकते हैं. इसमें एक काम है ट्रक की ड्राइवरी.''