Breaking

7 May 2018

दलितों के ख़िलाफ़ नफ़रत की ये तस्वीरें आपने देखी हैं?

दलित
सागर शेजवाल को रिंगटोन से शुरू हुए विवाद के बाद मरा हुआ पाया गया
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हाल ही में एक ख़ास प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी में लगाई गई तस्वीरों में देश के दलितों के उत्पीड़न की कई कहानियां नज़र आईं.
फोटोग्राफ़र सुधारक ओलवे की तस्वीरों में क़ैद ये कहानियां कभी 'अछूत' माने-जाने वाले इस वर्ग के लाखों लोगों के दुख को बयां कर रही थीं.
समाज के सबसे निचले तबक़े का ये दलित वर्ग सदियों से सवर्ण हिंदुओं के ज़ुल्मों को सहन करता रहा है.
अपने साथ ग़लत व्यवहार के ख़िलाफ़ और अधिकारों के लिए इस वर्ग से आवाज़ें भी उठती रही हैं.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हज़ारों-हज़ार दलित सड़कों पर उतरे और विरोध प्रदर्शन किया.
दरअसल, कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ़ एट्रोसिटीज़) एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी और इसके तहत मामलों में तुरंत गिरफ़्तारी की जगह शुरुआती जांच की बात कही थी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले को लेकर दलित समुदाय में ख़ासी नाराज़गी देखी गई.
इन प्रदर्शनी के आयोजकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के जवाब में वो ये कहानियां सामने लेकर आए हैं. उन्हें उम्मीद है कि ये कहानियां देखने के बाद दलितों के अधिकारों से जुड़े क़ानून को और कमज़ोर नहीं किया जाएगा.
दलितों की सुरक्षा के लिए मौजूद क़ानूनों के बावजूद सिर्फ 2016 में ही समाज के इस निचले तबक़े के ख़िलाफ़ 40,000 से ज़्यादा अपराध हुए.
पहले दलितों और ऊंची जाति के लोगों के बीच के विवाद की वजह ज़मीन, तनख़्वाह, पानी, घरों और छुआ-छूत का चलन हुआ करता था.
लेकिन कार्यकर्ताओं के मुताबिक़, अब विवाद की वजहें बदल गई हैं. अब दलितों की आगे बढ़ने की चाह कुछ ऊंची जाति के लोगों की आंखों में चुभने लगी है.
दलितइमेज कॉपीरइट

खेत में मिले

24 साल के सागर शेजवाल नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे थे. वो मई 2015 में शिर्डी में एक दोस्त की शादी में शरीक होने गए.
रास्ते में वो अपने दो भाइयों के साथ शराब की एक दुकान पर गए. उसी दौरान उनके फोन की घंटी बज उठी.
उनके फोन की रिंगटोन के जो बोल थे, उसमें डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी गई थी.
पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक़, आठ लड़के जो ठेके के बाहर शराब पी रहे थे, उन्हें सागर की रिंगटोन नागवार गुज़री और उन्होंने इसे बदलने के लिए कहा.
इस बात पर दोनों पक्षों के बीच कहासुनी और फिर मारपीट हो गई. ऊंची जाति के आठ लड़कों में से एक ने सागर को कथित तौर पर बोतल दे मारी. उन पर लात घूसे भी चलाए गए. इसके बाद वे लोग सागर को मोटरसाइकिल पर बैठाकर कहीं ले गए.
पुलिस ने बताया कि उन्हें कुछ देर बाद सागर की लाश एक खेत में मिली. पोस्टमार्टम में उनके शरीर पर कई घावों की पुष्टि हुई, जो कि कथित तौर पर उनके ऊपर से मोटरसाइकिल चढ़ाने से आए थे.
सागर के हत्या के अभियुक्तों को ज़मानत दी जा चुकी है.

खदान में मिले

25 साल के मानिक उडागे को 2014 में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती पर विशाल आयोजन करने पर कथित तौर पर पीट-पीटकर मार दिया गया था.
दलितइमेज कॉपीरइट
Image captionमानिक उडागे के भाई श्रवण और उनकी मां
ये कार्यक्रम पुणे के नज़दीक किया गया था. इस इलाक़े में कई ऊंची जाति के परिवार रहते हैं. इनमें से कुछ लोग नहीं चाहते थे कि यह कार्यक्रम उनके इलाक़े में हो. उन लोगों ने पेशे से कॉन्ट्रेक्टर मानिक उडागे को कार्यक्रम की जगह बदलने को कहा. उनकी इस बात को मानिक ने कथित तौर पर मानने से इनक़ार कर दिया.
उनके परिवार ने बताया कि एक मई को सुबह-सुबह चार आदमी उनके घर आए और मानिक को उठाकर ले गए. तीन मई को उनकी लाश एक खदान में मिली.
जो चार आदमी मानिक को उठाकर ले गए थे वो सभी ऊंची जाति से ताल्लुक रखते थे. कई बार की कोशिशों के बाद भी इन लोगों को ज़मानत नहीं मिली है.
लेकिन मानिक उडागे के भाई श्रवण कहते हैं कि उनका परिवार अब भी ख़तरे में है.
वह कहते हैं कि जब भी वह उस पड़ोस के इलाक़े से निकलते हैं तो आरोपियों के घर देखकर उनके मन में एक अजीब सा डर छा जाता है.

पेड़ पर लटके मिले

खरदा नाम के एक गांव में रहने वाले 17 साल के नितिन आगे 28 अप्रैल 2014 को एक पेड़ पर लटके मिले थे.
दलितइमेज कॉपीरइटSUDHARAK OLWE AND HELENA SCHAETZLE
Image captionनितिन आगे के माता-पिता
पुलिस के मुताबिक़, नितिन को स्कूल में एक ऊंची जाति की लड़की से बात करते हुए देख लिया गया था.
जिसके बाद लड़की के भाई समेत तीन आदमियों ने नितिन को कई दिनों तक कथित रूप से परेशान किया. उन्हें शक था की नितिन और उनकी बहन एक-दूसरे से प्यार करते हैं.
पुलिस के मुताबिक़, उसके साथ पहले स्कूल में मारपीट की गई. उसके बाद वे लोग उसे अपनी किसी प्रॉपर्टी में ले गए और मौत के घाट उतार दिया.
बाद में उसे एक पेड़ से लटका दिया गया, जिससे लगे कि उसने ख़ुद अपनी जान ले ली है.
हत्या के आरोपी 13 लोगों को नवंबर 2017 में बरी कर दिया गया. नितिन का परिवार तब से मामले की दोबारा जांच कराने की मांग कर रहा है.

'हत्या को बना दिया आत्महत्या'

38 साल के संजय दनाने एक स्कूल के क़रीब लटके हुए मिले थे. वह इस स्कूल में 2010 में काम किया करते थे.
दलितइमेज कॉपीरइट
Image captionसंजय दनाने के पिता
संजय के परिजनों का आरोप है कि उन्हें उनके साथ काम करने वाले ऊंची जाति के लोगों ने एक विवाद के चलते मार डाला और बाद में उन्हें पेड़ से लटकाकर उनकी हत्या को आत्महत्या दिखाने की कोशिश की.
इस मामले में पुलिस ने 18 लोगों को गिरफ़्तार किया. गिरफ़्तार लोगों में स्कूल बोर्ड के सदस्य और प्रधानाध्यापक भी शामिल थे.
फ़िलहाल उन सभी को जमानत मिल चुकी है.

पानी देने से मना किया

10 साल की राजश्री कांबले पानी लाते हुए फिसलकर गिर गईं और उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं.
उनके पिता नामदेव ने आरोप लगाया कि अगर उनके पड़ोस में रहने वाले दलितों को रोज़ाना पानी का सप्लाई दिया गया होता, तो आज उनकी बेटी ज़िंदा होती.
दलितइमेज कॉपीरइट
Image captionराजश्री के पिता रामदेव काम्बले
दरअसल, 2016 में सूखा पड़ने की वजह से गांव के कुएं सूख गए थे. कांबले ने कहा कि गांव के प्रशासन ने उनके दूसरे पड़ोसियों को पानी की सप्लाई दे दी लेकिन बार-बार मांग करने पर भी उनके पड़ोस में रहने वाले दलित परिवार को पानी सप्लाई नहीं दी गई.
वो कहते हैं कि उन्होंने गांव के मुखिया और दूसरे अधिकारियों के ख़िलाफ़ पुलिस में मामला दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके.

'कुआं खोदने पर घोंपा चाकू'

48 वर्षीय मधुकर घाडगे को कथित रूप से 12 ऊंची जाति के लोगों ने मार डाला. मधुकर ख़ुद की ज़मीन में कुआं खोद रहे थे. वह ज़मीन उन ऊंची जाति के लोगों की ज़मीन से घिरी हुई थी. यही वजह थी कि उन लोगों ने मधुकर पर भाले जैसे हथियार से वार कर मार डाला.
दलितइमेज कॉपीरइट
Image captionमधुकर घाडगे के बेटे तुषार
मधुकर के रिश्तेदारों ने बताया कि जब तक वो उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.
घाडगे की पत्नी और बेटे कहते हैं कि उन्हें मारने की एक वजह ये भी थी उनका परिवार पढ़ा लिखा और स्थानीय राजनीति में सक्रिय था.
तीन साल बाद एक निचली अदालत ने सभी 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. मुंबई हाईकोर्ट में इस मामले की अपील आज भी लटकी हुई है.

गर्दन काटकर जला दिया

30 अप्रैल 2009 को रोहन काकडे का 19 वां जन्मदिन था. लेकिन उसके एक दिन पहले वह घर नहीं लौटे. उनके परिवार वालों ने उन्हें जब ढूंढना शुरू किया तो कुछ घंटों बाद उनका सरकटा और जला हुआ शव मिला.
दलितइमेज कॉपीरइट
उनकी हत्या करने का आरोप ऊंची जाति के पांच लोगों पर लगा. कथित तौर पर रोहन का आरोपियों की बहन के साथ प्रेम संबंध था.
लेकिन रोहन काकडे के माता-पिता का कहना है कि दोनों में ऐसा कोई संबंध नहीं था. उनके मुताबिक़ लड़की रोहन को कभी-कभी फोन किया करती थी और दोनों के बीच सिर्फ़ दोस्ती थी.
रोहन की मौत के ढाई साल बाद उनके पिता की भी मौत हो गई. लेकिन रोहन की मां अपने बेटे को इंसाफ़ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ती रहीं. इतने संघर्षों के बावजूद पांचों अपराधियों को कोर्ट ने बरी कर दिया....
        साभार-बीबीसी..

Post Top Ad

Your Ad Spot

Pages