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15 May 2018

कर्नाटक चुनाव: जीत की बिसात ऐसे बिछाई बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने

अमित शाह
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर भले बहुमत नहीं जुटाती दिख रही हो लेकिन राज्य में वो सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है.
सत्ता पर कब्ज़ा करने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा की है, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ करना होगा.
बीजेपी के लिए उम्मीदों की एक बड़ी वजह ये है कि राज्य के राज्यपाल, भारतीय जनता पार्टी के ही हैं.
बावजूद इस चुनौती के, कर्नाटक में नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने एक बार फिर दिखाया है कि मौजूदा समय में उनके जैसा चुनाव प्रबंधन कोई और नहीं कर सकता.
ये बीजेपी का चुनावी प्रबंधन ही है, जिसके बलबूते कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी बहुमत के क़रीब तक आ पहुंची.
ये तैयारी किस स्तर की रही, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कर्नाटक में मतदाताओं की कुल पंजीकृत संख्या 4 करोड़ 96 लाख है और इन मतदाताओं तक पहुंचने के लिए बीजेपी ने प्रत्येक चुनावी बूथ पर 40-50 लोगों को ज़िम्मेदारी सौंपी हुई थी.
इस बारे में मालविका अविनाश बताती हैं, "ये कोई कर्नाटक में ही नहीं हुआ है, बीजेपी हर चुनाव को जीतने के उद्देश्य से मैदान में उतरती है. हमारे यहां बूथ लेवल में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पन्ना प्रमुख होते हैं. दरअसल एक पन्ने में जितने मतदाताओं के नाम आ जाते हैं, करीब 50 लोगों के नाम आ जाते हैं, उनकी जिम्मेदारी हम जिन्हें देते हैं उन्हें पन्ना प्रमुख कहते हैं."
कर्नाटक विधानसभा चुनाव

पार्टी का चुनावी प्रबंधन

इस हिसाब से, राज्य के मतदाताओं की संख्या को देखते हुए, राज्य में करीब 10 लाख पन्ना प्रमुख कर्नाटक में मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में वोट देने के लिए घर से निकाल लाने की ज़िम्मेदारी निभा रहे थे.
इन पन्ना प्रमुखों की सक्रियता का असर ही है कि कर्नाटक में इस बार रिकॉर्ड 70 फ़ीसदी से ज्यादा मतदान देखने को मिला था.
कर्नाटक कांग्रेस के उपाध्यक्ष बीके चंद्रशेखर भी मानते हैं कि कांग्रेस पार्टी चुनावी प्रबंधन में बीजेपी से पिछड़ गई, जिसके चलते कर्नाटक में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा.
चंद्रशेखर बताते हैं, "कांग्रेस, बीजेपी की तरह कैडर आधारित पार्टी नहीं है. बीजेपी के पास कैडर हैं, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के लोग हैं, संघ परिवार के दूसरे संगठन हैं, समर्पित कार्यकर्ता हैं. इसी अंतर के चलते कांग्रेस अपनी राज्य सरकार के अच्छे कामों को लोगों तक नहीं पहुंचा पाई."
साभार-बीबीसी

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