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15 May 2018

दर्दनाक कहानियां: कई परिवारों को जिंदगी भर का गम दे गया वाराणसी पुल हादसा

चश्मदीदों ने बताया कि जो बीम गाड़ियों के ऊपर गिरा था वो दो महीना पहले ही रख दिया गया था, लेकिन उसे लॉक नहीं किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ऐसी प्रशासनिक लापरहवाही को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं.


Varanasi flyover collapse Many dead Suffering family story Woman loses husband
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कल पुल हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे ने कई परिवारों को जिंदगी भर का गम दे दिया है. बिहार के छपरा के रहने वाले राम बहादुर सिंह का परिवार भी उन्हीं में से है. राम बहादुर सिंह बनारस में सिंडिकेट बैंक में काम करते थे. बनारस में ही अपने परिवार के साथ रहते थे, बड़ी बेटी पल्लवी रुस में मेडिकल की तैयारी कर रही है वहीं 16 साल के बेटे वैभव ने इसी साल दसवीं की परीक्षा दी थी.

अपने बेटे-पत्नी को स्टेशन छोड़ने जा रहे थे राम बहादुर

इंजीनियर बनने का ख़्वाब देख रहा वैभव कोटा में रहकर तैयारी कर रहा था, उसकी पढ़ाई में मदद करने और खाने-पीने का ध्यान रखने के लिए उसकी मां भी उसके साथ कोटा में ही रह रही थीं. कुछ दिन पहले ही वैभव अपनी मां के साथ बनारस अपने घर आया था और जिस वक़्त ये दर्दनाक हादसा हुआ उस वक्त वैभव के पिता रामबहादुर सिंह वैभव और अपनी पत्नी को रेलवे स्टेशन छोड़ने जा रहे थे. लेकिन स्टेशन से चंद कदम पहले ही पिता-पुत्र इस भयावह हादसे का शिकार हो गए, हादसे में वैभव की मां भी बुरी तरह से घायल हुई हैं जिनका इलाज चल रहा है.
घटना की खबर लगते ही उनके साले राजेश रंजन सिंह अपने दोस्त नागेन्द्र पांडेय के साथ छपरा से बनारस पहुंचे, एबीपी न्यूज़ से बातचीत में मृतकों के परिजनों ने इस घटना के पीछे प्रशासन की लापरवाही को कारण बताया और मांग की कि चूंकि अब परिवार में भरण-पोषण का संकट आ चुका है इसलिए परिवार में किसी न किसी को सरकारी नौकरी दी जाए और परिवार को उचित मुआवज़ा दिया जाए.
पिता-बेटे की मौत
फ्लाइओवर हादसे ने वाराणसी के पास ही गाजीपुर के एक परिवार की तो पूरी दुनिया ही उजड़ गई. गाजीपुर के सहेड़ी गांव के खुशहाल राम बेटे संजय के इलाज के लिए बोलेरो गाड़ी से वाराणसी आए थे. खुशहाल राम के साथ उनके दूसरे बेटे शिवबचन राम भी थे. साथ में ड्राइवर वीरेंद्र भी था. संजय का इलाज वाराणसी के कैंसर अस्पताल में चल रहा था. संजय की कीमोथेरेपी चल रही थी. कीमोथेरेपी के बाद ये लोग गांव लौट रहे थे. लेकिन उनकी गाड़ी पर फ्लाइओवर का बीम गिरा और इस हादसे में खुशहाल राम और उनके बेटों संजय और शिवबचन की मौत हो गई.


जिस बोलेरो से ये लोग वाराणसी गए थे और हादसे का शिकार हो गए वो बोलेरो संजय चलाते थे और उससे अपना जीवन यापन करते थे. इस परिवार के गांव पर इस समय कोहराम मचा हुआ है और महिलाओं का रो रोकर बुरा हाल है. संजय और शिवबचन की पत्नी और 10 वर्षीय बच्चे का रो रोकर बुरा हाल है. साथ ही पूरा परिवार सदमे से नही उबर पा रहा है. संजय की पत्नी और उनका बेटा और साथ ही पूरा परिवार घटना के लिये सरकार को दोषी मान रहा है. परिवार को लोगों का कहना है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिये.
नई कार खरीद कर लौट रहे अश्वनी की मौत
वाराणसी के हादसे में बस्ती जिले के रहने वाले अश्विनी ने अपने पिता को खो दिया है. उनके दो रिश्तेदार हादसे में जख्मी हैं. अश्वनी के पिता वाराणसी में कार खरीदने आए थे, वो शोरूम से कार लेकर निकले ही थे कि हादसे की चपेट में आ गए. अश्वनी के पिता कार में आगे बैठे थे उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनके दामाद का पैर टूट गया. अश्वनी का पूरा परिवार इस हादसे से हिल गया है.
जवान के साथी की मौत
वहीं वाराणसी के जिस ट्रॉमा सेंटर में ब्रजेश भर्ती है उसी में वो फर्स्ट एड की ट्रेनिंग कर रहे थे, ब्रिजेश एनडीआरएफ के जवान हैं जो इसी ट्रॉमा सेंटर से अपने दो जवान साथियों के साथ उस बस से जा रहे थे जो इस हादसे की चपेट में आ गयी. इनके दो साथी मऊ जिले के रहने वाले राममिलन सिंह और अलीगढ़ के रहने वाले भवानी सिंह की मौत हो गयी, इस ऑपरेशन में राहत बचाव और खोज के काम में एनडीआरएफ की सात टीमें और 325 लोग लगे थे. लेकिन उनकी बदकिस्मती ही कहेंगे की अपने ही दो साथियों को खो दिया और एक का इलाज उसी अस्पताल में करा रहें हैं, जहां वो ट्रेनिंग ले रहे थे.


बड़ी प्रशासनिक लापरवाही ने छीन ली 18 जिंदगी
दरअसल, वाराणसी में जब फ्लाइओवर के नीचे से गाड़ियां गुजर रही थीं तभी दो स्लैब गाड़ियों पर आ गिरे, कई गाड़ियां इसके नीचे दब गई हैं.  ये फ्लाइओवर कैंट स्टेशन से लहरतारा के बीच बन रहा है. जिसकी लंबाई करीब ढाई किलोमीटर थी. ये फ्लाइओवर 2015 में बनना शुरू हुआ था. हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई. जिला प्रशासन ने बताया कि नौ लोग घायल हुये हैं लेकिन गैर आधिकारिक खबरों के मुताबिक करीब 20 लोग घायल हुये हैं.


अधिकारियों ने बताया कि एक मिनी बस और चार कार मलबे के नीचे दब गये. पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया कि आठ से 10 मोटरसाइकिल भी इसकी चपेट में आए हैं. चश्मदीदों ने बताया कि जो बीम गाड़ियों के ऊपर गिरा था वो दो महीना पहले ही रख दिया गया था, लेकिन उसे लॉक नहीं किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ऐसी प्रशासनिक लापरहवाही को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. पीएम मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विपक्षी दलों ने नेताओं ने इस हादसे पर दुख जताया है.

मुख्य परियोजना प्रबंधक एच सी तिवारी और तीन अन्य को देर रात निलंबित कर दिया गया था. अधिकारियों ने बताया कि निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा जब ढहा, उस वक्त कोई काम नहीं चल रहा था

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