आपको याद होगा कि पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर लगातार ये खबरें और आरोप सामने आ रहे थे कि गुजरात के जामनगर में बने इस वंतारा वाइल्ड लाइफ़ प्रोजेक्ट में हाथियों की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी हुई है, उनके रहने-सहने और देखभाल में नियमों का उल्लंघन किया गया है। यहाँ तक कि इस मामले को लेकर पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन यानी जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गई थी।
अब जरा समझते हैं कि हुआ क्या था। सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को कहा कि इस पूरे मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र और विश्वसनीय टीम बनाई जाए। इसके लिए SIT गठित हुई जिसमें बड़े नाम शामिल थे – जैसे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस चेलमेश्वर, हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राघवेंद्र चौहान, मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर हेमंत नागराले और IRS अधिकारी अनीष गुप्ता। यानी एक ऐसी टीम, जिस पर कोई भी सवाल खड़ा न कर सके।
इस टीम को काम दिया गया कि वंतारा प्रोजेक्ट की पूरी जांच करो – हाथियों को किस तरह से लाया गया, क्या उनकी खरीद वैध तरीके से हुई, क्या सभी approvals लिए गए, और सबसे महत्वपूर्ण – क्या वहाँ पर जानवरों की देखभाल सही तरह से हो रही है या नहीं।
अब SIT ने करीब दो हफ़्ते की जांच की। वो लोग वहाँ पहुँचे, स्टाफ से मिले, हाथियों की देखभाल, उनके रहने की जगह, मेडिकल सुविधा – सब कुछ देखा। और जो रिपोर्ट उन्होंने 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी, उसमें साफ लिखा है कि वंतारा प्रोजेक्ट में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं पाई गई।
यानि सीधे शब्दों में कहें तो SIT ने कहा – no violation, no irregularity.
उन्होंने माना कि हाथियों को Forest Department से खरीदा गया और ये पूरी प्रक्रिया कानूनी नियमों के अनुसार हुई। वहीं, जो care और management वहाँ पर दिया जा रहा है, वो standards के हिसाब से सही पाया गया।
अब कोर्ट में जब ये रिपोर्ट पेश हुई, तो सुप्रीम कोर्ट की बेंच – जिसमें जस्टिस पंकज मिट्ठल और जस्टिस पी.बी. वाराले शामिल थे – उन्होंने कहा कि रिपोर्ट काफी satisfactory है। मतलब, कोर्ट को इसमें कोई ऐसी चीज़ नहीं मिली जिससे लगे कि यहाँ नियम तोड़े गए। इस दौरान वंतारा की तरफ़ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने भी अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि SIT ने खुद जाकर सारी चीजें देखीं, स्टाफ से मुलाकात की, हर एक व्यवस्था को चेक किया और उसके बाद ये नतीजा निकला। साल्वे ने साफ कहा कि यहाँ elephants की proper देखभाल हो रही है – खाना, पानी, health facilities, सबकुछ। साल्वे ने ये भी कहा कि जो लोग बाहर से सवाल उठा रहे हैं, वो सिर्फ़ बिना facts के बातें कर रहे हैं। क्योंकि ground पर जाके जो टीम देख के आई है, उसने सब clear कर दिया है।लेकिन, यहाँ एक चीज़ और ध्यान देने वाली है। कोर्ट ने कहा कि वो SIT की रिपोर्ट को detail में पढ़ेगा और उसके बाद final आदेश देगा। यानी technically, मामला पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है, लेकिन अभी तक की स्थिति यही है कि वंतारा को क्लीन चिट मिल चुकी है।
अब सवाल ये है कि इसका मतलब क्या है?
सबसे पहले तो ये फैसला बहुत बड़ा इसलिए है क्योंकि पिछले कई महीनों से वंतारा प्रोजेक्ट controversies में था। सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें और पोस्ट्स circulate हो रही थीं – कि elephants को illegal तरीके से लाया गया है, या वहाँ उनका exploitation हो रहा है। लेकिन SIT की जांच के बाद ये साफ हो गया कि ऐसा कुछ भी ground reality में नहीं मिला।
दूसरी बड़ी बात – ये judgment हमें ये भी दिखाता है कि जब भी कोई बड़ा आरोप लगे, तो उसको proper तरीके से जांच करवाई जानी चाहिए। आजकल सोशल मीडिया पर किसी भी project, किसी भी व्यक्ति के बारे में बातें फैल जाती हैं, लेकिन असली सच्चाई जानने के लिए independent जांच ज़रूरी है।
वंतारा प्रोजेक्ट और सुप्रीम कोर्ट की SIT रिपोर्ट की।
आपको क्या लगता है – क्या सोशल मीडिया पर जो अफवाहें फैलाई गईं, वो जानबूझकर थीं? या सच में लोगों को लगता था कि यहाँ कोई गड़बड़ी है? और क्या ऐसे wildlife projects पर समय-समय पर independent inspection होना चाहिए?
