हाईलाइट्स– मैनपुरी में भाभी जी का स्वागत है
डिंपल यादव ने नामांकन किया दाखिल
डिंपल के लिए अच्छे नहीं रहे हैं उपचुनाव
मौनपुरी फतह सपा के लिए बड़ी चुनौती
चाचा शिवपाल फिर से चल रहे नाराज
सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के साथ आज
मैनपुरी में हैं. लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है. नामांकन दाखिल करने से
पहले अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल के साथ मुलायम सिंह यादव के स्मारक पर पुष्पांजलि
अर्पित की. यहां पांच दिसंबर को उपचुनाव होने हैं. ये सीट सपा संरक्षक मुलायम सिंह
यादव के निधन के बाद खाली हुई है, और 1996 से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा
रहा है. लेकिन अब सपा के लिए इस गढ़ को बचाना बड़ी चुनौति
साबित होने बाला है.
पांच बार खुद मुलायम सिंह यहां से सांसद चुने गए. इसके अलावा मुलायम परिवार के
ही तेज प्रताप सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव एक-एक बार यहां से जीत चुके हैं. दो बार सपा के टिकट पर ही
बलराम सिंह यादव ने यहां से चुनाव जीता था. अभी तक बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों का
एलान नहीं किया है. हलाकि बीजेपी से अपर्णा के नाम की चर्चा तेज थी. अब सवाल ये है
कि डिंपल यादव के लिए इस चुनाव में क्या चुनौती होगी? अब तक डिंपल का राजनीतिक परफॉरमेंस
कैसा रहा है? सपा ने मुलायम की राजनीतिक विरासत को बचाए रखने के लिए क्या तैयारी की है? बीजेपी डिंपल के घेरने के लिए क्या-क्या
तैयारियां कर रही है.
सपा को बीजेपी से ज्यादा खतरा
खुद के परिवार से है. अखिलेश की सबसे बड़ी चुनौति घर को टूटने से बचाने की है.
क्योकि चचा शिवपाल एक बार फिर भतीजे से नाराज चल रहे हैं, जिसका फायदा बीजेपी
उठाने से चूकने वाली नहीं है. हलाकि मुलायम के निधन के बाद संवेदना वाला वोट डिंपल
को मिल सकता है. लेकिन इससे भी नहीं बचा जा सकता की डिंपल के लिए उपचुनाव का अनुभव
ठीक नहीं रहा है. और डिंपल का पुराना हार उनके राह में रोड़े अटका सकता है. जातीय
समीकरण भी सपा के पक्ष में नहीं है. उपर से बीजेपी किसी हाल में इस सीट को सपा से
छीनना चाहती है. ऐसे सें अखिलेश के लिए यह चुनाव करो या मरो जैसा है. ब्यूरो
रिपोर्ट द फ्रंट न्यूज
