इलाहाबाद।शहर के मध्य भाग में यमुना नदी से
कुछ दूरी पर मीरापुर मुहल्ले में स्थित इस प्राचीन महाशक्तिपीठ मंदिर में माता सती
का हस्तांगुल गिरी थी। भक्तों ने उसी स्थल पर मां का भव्य मंदिर बनवाया। यहां
भगवती महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में
विराजमान हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही दिव्य शक्ति की अनुभूति होती है। दाए हाथ
पर संकट मोचन हनुमान, राम, लक्ष्मण सीता व
बाई ओर नवग्रह की दिव्य मूर्तियां स्थापित हैं। अंदर राधा-कृष्ण की भव्य मूर्तियां
भक्तों का कल्याण करती हैं।
प्रयाग शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के
पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र
या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये।
ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए
हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
इलाहाबाद में तीन मंदिरों को, मतांतर से, शाक्तिपीठ माना
जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति ललिता के हैं। ये तीन मंदिर हैं- अक्षयवट (किले) के निकट मीरापुर में और
अलोपी मंदिर। प्रयाग में सती की हस्तांगुली का निपात हुआ है था। यहाँ की शक्ति
ललिता तथा भैरव भव हैं।
अक्षयवट कि़ले में कल्याणी- ललिता देवी मंदिर
के समीप ही ललितेश्वर महादेव का भी मंदिर है। मत्स्यपुराण में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहाँ की देवी का नाम ललिता
दिया गया है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा के
अनुसार मंदिर श्रीयंत्र पर आधारित बना है। नवरात्र में आभूषण व पुष्प-पत्तियों से
मां का दिव्य श्रृंगार किया जाएगा।
जनकल्याण के लिए हवन- मंदिर में मां का हर
दिन अलग-अलग श्रृंगार किया जाएगा। मानव कल्याण के लिए शतचंडी यज्ञ का आयोजन होगा, जो पूरे नवरात्र तक चलेगा।
