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7 May 2018

कौन है एक करोड़ प्लस सैलरी पाने वाली बिहार की गूगल गर्ल मधुमिता

मधुमिता
मधुमिता जिसे मिलने वाली है 9 लाख रुपये प्रतिमाह सैलरी
उम्र- 25 साल, सैलरी- हर महीने नौ लाख रुपये. आपको यक़ीन भले नहीं हो लेकिन बिहार की मधुमिता कुमार के लिए अब ये कोई सपना नहीं बल्कि हक़ीक़त है.
दुनिया के बड़ी सर्च कंपनियों में शुमार गूगल ने मधुमिता को एक करोड़ आठ लाख रुपये सालाना के पैकेज पर नौकरी दी है.
सोमवार को अपनी नई नौकरी को मधुमिता ने गूगल के स्विट्ज़रलैंड स्थित ऑफिस में टेक्निकल सोल्युशन इंजीनियर के तौर पर ज्वॉइन भी कर लिया है.
गूगल में नौकरी शुरू करने के पहले वे बेंगलुरु में एपीजी कंपनी में काम कर रही थीं.
उनके पिता के मुताबिक हाल के दिनों में उन्हें अमेज़ॉन, माइक्रोसॉफ़्ट और मर्सिडीज़ जैसे कंपनियों से भी ऑफ़र मिला था.

कामयाबी का जश्न

आज उनके पिता मधुमिता की कामयाबी का जश्न मना रहे हैं.
पटना से सटे खगौल इलाक़े में इस परिवार की चर्चा हो रही है, लेकिन एक समय ऐसा था जब उनके पिता उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने के लिए तैयार नहीं थे.
सुरेंद्र कुमार शर्मा याद करते हैं, "शुरुआत में मैंने कहा था कि इंजीनियरिंग का फील्ड लड़कियों के लिए नहीं है. लेकिन फिर मैंने देखा कि लड़कियां भी बड़ी संख्या में इस फील्ड में आ रही हैं. इसके बाद मैंने उससे कहा कि चलो एडमिशन ले लो."

इसके बाद मधुमिता ने जयपुर के आर्या कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उनका बैच था 2010-2014. इसके पहले बारहवीं तक की पढ़ाई उन्होंने पटना के डीएवी, वाल्मी स्कूल से की.
मधुमिता

अब्दुल कलाम से मिली प्रेरणा

अपने परिवार या कहें कि खानदान से विदेश जाने वाली वह पहली शख्स हैं. वह इसी साल फरवरी में पहली बार अमरीका गयीं थीं.
मधुमिता के पहले विदेश दौरे के को याद करते हुए उनके पिता सुरेंद्र कहते हैं, "कई दूसरे घरों की तरह हमारे यहां भी किसी अपने का विदेश जाना बड़ी उपलब्धि थी. वो गईं तो सबको लगा कि चलो कोई तो विदेश घूम कर आया."
लेकिन अब उन्हें इस बात का एहसास है कि उनकी बेटी को हज़ारों मील दूर लगातार अकेली रहना होगा.
वैसे इस मुकाम को हासिल करने में मधुमिता की महेनत और लगन के साथ जिस एक व्यक्ति की अहम भूमिका रही है वो हैं भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मशहूर वैज्ञनिक एपीजे अब्दुल कलाम.
सोनपुर में रेलवे सुरक्षा बल में सहायक सुरक्षा आयुक्त पद पर तैनात मधुमिता के पिता कुमार सुरेंद्र शर्मा बताते हैं, "मरहूम राष्ट्रपति ऐपीजे अब्दुल कलाम मधुमिता के सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हैं. उनकी किताबें और बायोग्राफी वह हमेशा पढ़ती रहती है. उन्हीं के विचारों से मधुमिता ने प्रेरणा ली है."
मधुमिताइमेज कॉपीरइटFACEBOOK/MADHUMITA.SHARMA

आईएएस बनना चाहती थीं मधुमिता

स्कूल की पढ़ाई के दिनों में मधुमिता को मैथ और फ़िजिक्स और भौतिकी ज्यादा पसंद था. साथ ही डिबेट कंपीटीशंस में भी वह बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती थीं. शुरुआत में मधुमिता आईएएस बनना चाहती थीं.
पर बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग को अपना करियर बनाया. 2010 में उन्होंने बारहवीं की कक्षा की परीक्षा पास करने के साथ साथ इंजीनियरिंग में दाख़िला भी ले लिया.
सुरेंद्र शर्मा बताते हैं, "मधुमिता को बारहवीं में करीब 86 फीसदी अंक मिले थे. देश के अच्छे कॉलेजों में दाख़िले के हिसाब से इतने अंक औसत माने जाते हैं. ऐसे में उनकी सफलता इस बात को एक बार फिर ये साबित करती है कि बोर्ड में बहुत अच्छे नंबर नहीं आने से भी सफलता के रास्ते बंद नहीं हो जाते हैं."
सुरेंद्र कुमार शर्मा खुद सोनपुर में रेलवे सुरक्षा बल में सहायक सुरक्षा आयुक्त के पद पर तैनात हैं.
मधुमिताइमेज कॉपीरइटFACEBOOK/MADHUMITA.SHARMA

मधुमिता का परिवार

सुरेंद्र शर्मा की बड़ी बेटी रश्मि कुमार अभी इंदौर के अरविंदो मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं.
वहीं, परिवार का सबसे छोटा लड़का हिमांशु शेखर, अभी बेंगलुरु के आरवी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से मैकनिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र हैं.
मधुमिता से पहले बिहार के ही वात्सल्य सिंह को माइक्रोसॉफ़्ट की ओर से करीब एक करोड़ 20 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी मिली थी.
करीब दो साल पहले वात्सल्य को जब यह ऑफर मिला था तब वह आईआईटी खड़गपुर में आखिरी वर्ष के छात्र थे. वे खगड़िया जिले के सन्हौली गांव के रहने वाले हैं.

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