ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनिदेव न्यायप्रिय राजा हैं। ये अच्छे कर्मों का अच्छा तो बुरे कर्मों का बुरा फल देते हैं। शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा के बाद आरती को जरूर करें।मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि के कोप से बचा जा सकता है। शनिदेव भगवान सूर्य तथा छाया के पुत्र हैं। इन्हें क्रूर ग्रह माना गया है। ये एक राशि में तीस महीने तक रहते हैं तथा मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। शनि की महादशा 19 वर्ष तक रहती है।
ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनिदेव न्यायप्रिय राजा हैं। ये अच्छे कर्मों का अच्छा तो बुरे कर्मों का बुरा फल देते हैं। शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा के बाद आरती को जरूर करें।मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि के कोप से बचा जा सकता है। शनिदेव भगवान सूर्य तथा छाया के पुत्र हैं। इन्हें क्रूर ग्रह माना गया है। ये एक राशि में तीस महीने तक रहते हैं तथा मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। शनि की महादशा 19 वर्ष तक रहती है।